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ट्रम्पोनॉमिक्स का विश्व अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा?

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ट्रम्पोनॉमिक्स (Trumponomics) यानी डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियां—"अमेरिका फर्स्ट", संरक्षणवाद, आक्रामक टैरिफ, टैक्स कटौती और ऊर्जा सेक्टर में ढिलाई जैसी रणनीतियों को समेटे हुए हैं। 2025 में ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने की स्थिति में इन नीतियों का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर मजबूत, दूरगामी और जटिल असर पड़ेगा। यह विश्लेषण उन्हीं संभावित प्रभावों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है।


प्रमुख विशेषताएं: ट्रम्पोनॉमिक्स की धुरी

·         आर्थिक राष्ट्रवाद और संरक्षणवाद: ट्रंप के एजेंडे की सबसे अलग बात अंतरराष्ट्रीय व्यापार के प्रति उनकी आक्रामकता है। वे चीन, मैक्सिको, कनाडा और यूरोप समेत लगभग सभी महत्वपूर्ण ट्रेडिंग पार्टनर्स से आने वाले सामान पर 10–20% टैरिफ और चीन से आने वाले उत्पादों पर 60% तक टैरिफ लगाने की योजना बना सकते हैं[1][2][3][4]

·         निचले स्तर पर टैक्स कटौती: ट्रंप ने अमेरिकी कंपनियों और नागरिकों के लिए टैक्स कम करने का भी वादा किया है, जिससे देश में निवेश और रोजगार बढ़ाने का लक्ष्य है[1][3]

·         मुद्रास्फीति, डॉलर स्ट्रेंथ और ऊर्जा नीति: राष्ट्रीय ऊर्जा आपातकाल, फॉसिल फ्यूल्स का समर्थन और पेरिस जलवायु समझौते से बाहर रहने की नीति वैश्विक ऊर्जा और महंगाई के संतुलन को बदल सकती है[1][3]

विश्लेषण: वैश्विक अर्थव्यवस्था पर संभावित असर

1. वैश्विक व्यापार और ग्रोथ पर प्रभाव

·         व्यापार युद्ध एवं ग्लोबल रुकावट

o    ट्रंप की संरक्षणवादी टैरिफ नीति से चीन, यूरोप, मैक्सिको आदि देशों के लिए अमेरिकी बाजार महंगा और अप्रिय बन सकता है[1][2][3]

o    वैश्विक निर्यात पर निर्भर जर्मनी, दक्षिण कोरिया, जापान जैसे देशों में नौकरियों पर और कारोबारी लाभ पर असर, सप्लाई चेन व्यवधान और निवेश में गिरावट की आशंका है[1][5][3][4]

o    अमेरिका को चीन से निर्यात में अनुमानित 30% तक गिरावट, वहीं वैश्विक बाजार में हर साल एक ट्रिलियन डॉलर तक का नुकसान हो सकता है[1]

o    BRICS जैसे समूह यदि डॉलर के अलावा अन्य मुद्रा में व्यापार को बढ़ावा देते हैं, तो ट्रंप की ओर से सख्त प्रतिबंधों की चेतावनी, नए भू-आर्थिक तनावों को जन्म दे सकती है[2]

·         वैश्विक आर्थिक सुस्ती और मंदी की आशंका

o    रूस-यूक्रेन युद्ध, मध्य-पूर्व संकट और यूरोपीय मंदी के मौजूदा हालात पहले ही वैश्विक अर्थव्यवस्था को कमजोर कर चुके हैं[2]

o    ट्रंप की नीतियों के कारण मंदी का खतरा और बढ़ जाएगा, निवेशक अस्थिरता से बचने के लिए जोखिमपूर्ण संपत्तियों से भाग सकते हैं[5][3]

2. डॉलर स्ट्रेंथ, मुद्रास्फीति और फाइनेंशियल मार्केट्स

·         मजबूत डॉलर

o    ट्रंप की आक्रामक नीतियों के चलते डॉलर और मजबूत हो सकता है, जिससे उभरते बाजारों (जैसे भारत, ब्राजील, तुर्की) से पूंजी का बहाव तेज हो सकता है[5]

·         मुद्रास्फीति की आशंका

o    आयात महंगा होने से अमेरिका और दुनिया दोनों जगह महंगाई बढ़ सकती है।

o    US Federal Reserve को ब्याज दरें ऊंची रखने की मजबूरी, क्रेडिट महंगा, निवेश की रफ्तार धीमी[3]

·         शेयर बाजारों का उतार-चढ़ाव

o    ट्रंप की जीत पर एशियाई बाजारों में मिली-जुली प्रतिक्रिया—कुछ देशों को फायदा, कईयों को नुकसान[3][4]

o    निवेशकों में नीतिगत अनिश्चितता, जिसका असर डायरेक्ट एंड इनडायरेक्ट तरीके से सभी निवेश वर्गों पर पड़ सकता है।

3. क्षेत्रीय विश्लेषण: एशिया, यूरोप, अमेरिका

क्षेत्र

संभावित प्रभाव

चीन

भारी टैरिफ, GDP में 0.7%–1.6% की गिरावट संभव, निर्यात पर सीधा असर[4]

यूरोप

जर्मनी जैसे निर्यातक देश प्रभावित, औद्योगिक उत्पादन और नौकरियां खतरे में[1][3]

भारतीय उपमहाद्वीप/ASEAN

कुछ उत्पादन कंपनियों का चीन से पलायन, भारत/ASEAN को लाभ हो सकता है; पर वैश्विक मंदी का जोखिम उच्च[5][4]

उभरते बाजार

डॉलर की मजबूती के कारण पूंजी बहाव, वित्तीय अस्थिरता बढ़ने की आशंका[5][3]

 

4. लॉक्ड-इन पॉलिटिक्स और विरोधाभास

·         यदि अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों में रिपब्लिकन का प्रभाव रहा, तो ट्रंप अपनी योजनाओं को प्रभावशाली ढंग से लागू कर सकते हैं[5][3]

·         फिर भी, checks & balances सिस्टम ट्रंप के कुछ सबसे कट्टर प्रस्तावों को रोक भी सकता है और नीति-निर्माण में जटिलता बनी रह सकती है[5][3]

5. विशेष उल्लेख: भारत और उभरते देश

·         चीन के विकल्प: कुछ मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स का चीन से भारत या ASEAN में स्थानांतरण भारत के लिए स्किल कैपेसिटी और एक्सपोर्ट बढ़ाने का मौका बन सकता है[4]

·         ट्रेड बैरियर्स से नुकसान का जोखिम: भारत द्वारा टैरिफ में जवाबी कार्रवाई से बचे रहना हितकर; व्यापार युद्ध भारतीय निर्यात के लिए दोहरी मार ला सकता है[5]

·         रुपया/रिजर्व पर दबाव: डॉलर स्ट्रेंथ से रुपया कमजोर पड़ सकता है, जिससे आयात महंगा और मुद्रास्फीति का जोखिम बढ़ सकता है[5]

निष्कर्ष और आगे की संभावनाएं

·         ट्रंपोनॉमिक्स की नीति यदि पूरी तरह लागू होती है, तो निकट भविष्य में वैश्विक अर्थव्यवस्था को

o    धीमी विकास दर

o    उच्च अस्थिरता

o    व्यापार का संकुचन

o    मुद्रास्फीति और डॉलर की मजबूती

o    वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का पुनर्गठन
का सामना करना पड़ सकता है।

·         कई देशों को ट्रंप की पॉलिसियों के अनुसार अपनी रणनीतियों को त्वरित गति से एडजस्ट करना होगा।

·         आयात-निर्यात और फाइनेंशियल मार्केट्स में अनिश्चितता बढ़ेगी, और निवेशकों को जोखिम प्रबंधन रणनीति पर विशेष काम करना होगा[1][5][3][4]

इस तरह ट्रम्पोनॉमिक्स न केवल अमेरिकी व्यापार और उद्योग, बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के संतुलन को चुनौती दे सकती है।

1.       https://www.youtube.com/watch?v=adsnkAxaQ5c       

2.      https://hindi.economictimes.com/news/global-economic-slowdown-trump-trade-war-india-impact/articleshow/116004112.cms   

3.      https://hindi.latestly.com/agency-news/what-impact-will-trumps-victory-have-on-the-global-economy-2379115.html            

4.      https://www.dw.com/hi/asia-the-worlds-economic-engine-prepares-for-trump-shock/a-70749331      

5.       https://navbharattimes.indiatimes.com/business/business-news/swaminomics-trump-2-0-will-have-economic-consequences-to-whole-world-including-india/articleshow/115132126.cms         


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